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लॉर्ड रमी रेंजर ब्रिटिश राजघराने का सम्मान छीने जाने को देंगे चुनौती

Bharat Samvad:

 लंदन, 07 दिसंबर । ब्रिटेन की एफएमसीजी कंपनी सन मार्क लिमिटेड के संस्थापक और कंजर्वेटिव रमिंदर सिंह रेंजर से ब्रिटिश राजघराने के सम्मान 'कमांडर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर' (सीबीई) को वापस ले लिया गया। ब्रिटिश मंत्रिमंडल कार्यालय की जब्ती समिति की सिफारिश पर यह अप्रत्याशित कदम उठाया गया है। रमिंदर सिंह दुनिया में लॉर्ड रमी रेंजर के नाम से मशहूर हैं। वो ब्रिटिश संसद के उच्च सदन हाउस ऑफ लॉर्ड्स के भारतीय मूल के सदस्य हैं।

ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जब्ती समिति ने लॉर्ड्स स्टैंडर्ड्स वॉचडॉग की एक रिपोर्ट के बाद यह सिफारिश की। लॉर्ड्स स्टैंडर्ड्स वॉचडॉग की रिपोर्ट में कहा गया कि उन्होंने सम्मान प्रणाली को बदनाम किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पत्रकार को धमकाया और परेशान किया। बीबीसी का मानना ​​है कि यह सिफारिश लॉर्ड रेंजर के सोशल मीडिया पोस्ट में सिख समुदाय और पाकिस्तान के लोगों के बारे में की गई टिप्पणियों पर विचार के बाद की गई।

लॉर्ड रेंजर ने कहा कि सम्मान छीने जाने से वह "हताश" हैं और "अन्यायपूर्ण" फैसले को चुनौती देने के लिए "विभिन्न कानूनी रास्ते" तलाशेंगे। शुक्रवार को लंदन गजट में प्रकाशित एक नोटिस में कहा गया कि राजा ने निर्देश दिया है कि लॉर्ड रेंजर का सम्मान "निरस्त और रद्द" किया जाना चाहिए।

कुछ अन्य रिपोर्ट्स में कहा गया कि रमिंदर सिंह रेंजर को दिया गया सम्मान ब्रिटिश राजघराने के प्रमुख किंग चार्ल्स तृतीय ने रद्द कर दिया। ब्रिटिश मंत्रिमंडल कार्यालय की जब्ती समिति ने अपनी सिफारिश के पीछे के कारणों को स्पष्ट नहीं किया है, लेकिन यह कदम पिछले साल लॉर्ड्स की जांच के बाद उठाया गया। लॉर्ड रेंजर को 31 दिसंबर, 2015 को कमांडर ऑफ द सिविल डिविजन ऑफ द मोस्ट एक्सीलेंट ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर के रूप में नियुक्ति दी गई थी।

इस घटनाक्रम के बाद लॉर्ड रमी रेंजर का आधिकारिक बयान सामने आया है। इसमें कहा गया, आज मुझसे ब्रिटिश राजघराने से मिला सम्मान वापस ले लिया गया, क्योंकि मैंने भारत को तोड़ने का इरादा रखने वाले खालिस्तान समर्थकों का विरोध किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि बीबीसी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ एक-दो एपिसोड की डॉक्यूमेंट्री बनाई है, जिसमें यह इशारा किया गया है कि 20 वर्ष पहले प्रधानमंत्री मोदी गुजरात दंगों में शामिल थे, जबकि भारत की शीर्ष अदालत उन्हें इस मामले में बरी कर चुकी है।

लॉर्ड रेंजर ने इस घटनाक्रम पर पारदर्शिता की कमी और गोपनीयता के उच्च स्तर पर गंभीर चिंताएं जताईं और कहा कि वह अनुचित निर्णय को चुनौती देने पर विचार कर रहे हैं। उनके प्रवक्ता ने कहा, ''लॉर्ड रेंजर ने कोई अपराध नहीं किया है और न ही उन्होंने कोई कानून तोड़ा है, जबकि जिन लोगों का सम्मान इस तरह से रद्द किया गया है, उनमें से अधिकांश ने या तो अपराध किया है या कानून तोड़ा है।''

इसके साथ ही हिंदू समुदाय और अंतर-धार्मिक संबंधों में सेवाओं के लिए ऑफिसर ऑफ द सिविल डिविजन ऑफ द मोस्ट एक्सीलेंट ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर (ओबीई) के रूप में अनिल कुमार भनोट की दी गई नियुक्ति को भी रद्द कर दिया गया है। उन्हें जून 2010 में दिवंगत क्वीन एलिजाबेथ की जयंती पर हिंदू समुदाय और अंतर-धार्मिक संबंधों में उनकी सेवाओं के लिए ओबीई की उपाधि से सम्मानित किया गया था।

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