अमृतसर, 07 दिसंबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि भारत में आजादी के समय से ही सहकारिता आंदोलन की भूमिका अहम रही है। वर्तमान में हम सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए कि सहकारिता की सीमा भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व होना चाहिए। साथ ही उन्हाेंने
धरती के बिगड़ रहे संतुलन काे बचाने के लिए एकजुटता से प्रयास करने की जरूरत पर भी जाेर दिया।
दत्तात्रेय होसबाले शनिवार को अमृतसर में सहकार भारती के आठवें राष्ट्रीय अधिवेशन के प्रथम उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज हम आर्थिक विकास तो कर रहे हैं लेकिन सामाजिक विकास की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। सामाजिक विकास के लिए आज पूरे देश में परिवर्तन की लहर चलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में स्वतंत्रता, समानता, संयमता और न्याय की बात कही गई है। यह कहीं न कहीं पिछड़ रहा है।
धर्म के विषय पर होसबाले ने कहा कि धर्म केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है। धर्म जीवन को स्थिरता देता है। जीवन के लिए, विकास के लिए धर्म का पालन जरूरी है। धर्म की गलत समझ के कारण भौतिक जीवन की अवहेलना कर रहे हैं।
उन्हाेंने भारत में सहकारिता के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि देश की आजादी से पहले ही सहकारिता आंदोलन की शुरुआत हो चुकी थी। सही मायने में सहकारिता का अर्थ बेहतर कुटुंब, जनमानस और राष्ट्र का निर्माण करना है। जिसमें एक-दूसरे के प्रति संवेदनाएं हों। आज एक-दूसरे के प्रति सामाजिक संवेदनाएं समाप्त होती जा रही हैं। इस तरफ ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
गुरु नानक देव के संदेश नाम जपो, कीतर करो, वंड छको के सिद्धांत का वर्णन करते हुए होसबाले ने कहा कि प्रभु का सुमिरन करते हुए परिश्रम से कमाई करें और बांटकर खाएं। इस एकमात्र सिद्धांत के आधार पर जीवन को सरल बनाया जा सकता है। उन्हाेंने बच्चों को अच्छे संस्कार दिए जाने का संदेश देते हुए कहा कि संस्कारित कुटुंब ही अच्छे समाज का निर्माण कर सकता है। वर्तमान परिवेश में समस्याओं के समाधान करने वाले समाज के निर्माण की जरूरत है। जहां एक-दूसरे के हितों का ख्याल रखा जाए।
किसान का उदाहरण देते हुए दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि किसान जब खेत में अनाज पैदा करता है तो उसे उपकरण के लिए लाेहार की, बीज विक्रेता की, जल प्रबंधन की, मंडी में व्यापारी समेत कई वर्गों की जरूरत हाेती है। एक फसल का उत्पादन किसी एक व्यक्ति के बस की बात नहीं, यह परस्पर सहयोग का कार्य है। यह सहकारिता का सबसे बड़ा उदाहरण है।
होसबाले ने सहकार भारती द्वारा राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए पंजाब का चयन करने पर आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि पंजाब की धरती गुरुओं और पीरों की धरती है। आजादी की लड़ाई से लेकर आज तक पंजाब व पंजाबियों का इतिहास कुर्बानी वाला रहा है। यहां से निकला संदेश देशसभर में जाएगा।
पर्यावरण व जल बचाने का दिया संदेश-
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने अमृतसर के ऐतिहासिक मंच से सामाजिक मुद्दा उठाते हुए कहा कि आज जलवायु परिवर्तन से पृथ्वी पर कई तरह के संकट मंडरा रहे हैं। भूमिगत जलस्तर नीचे जा रहा है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण धरती का संतुलन बिगड़ रहा है। इसे बचाने के लिए एकजुटता से प्रयास करने की जरूरत है।